आशाओं के समंदर में कुछ सपने थे सुन्दर से
सपनों का एक कारवां था,
दिल में कुछ करने का अरमां जवां था,
हसरतें भी थीं, जुस्तुजू भी थी,
दिल में एक आरजू भी थी,
आरजू बस एक दिल की,
जो कुछ अपना सा कुछ पराया सा ,
दिखने में कुछ शरमाया सा,
गहराई नशीली आँखें थीं,
दो सुर्ख गुलाबी कलियाँ थीं,
कलियों के अलग होने से कुछ तराने फूटते थे,
लब उनके कुछ भी कहते....
हम तो बस उनको देखते थे
आशाओं के समंदर में.......................
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