Sunday, April 22, 2007

Ashaen

आशाओं के समंदर में कुछ सपने थे सुन्दर से
सपनों का एक कारवां था,
दिल में कुछ करने का अरमां जवां था,
हसरतें भी थीं, जुस्तुजू भी थी,
दिल में एक आरजू भी थी,
आरजू बस एक दिल की,
जो कुछ अपना सा कुछ पराया सा ,
दिखने में कुछ शरमाया सा,
गहराई नशीली आँखें थीं,
दो सुर्ख गुलाबी कलियाँ थीं,
कलियों के अलग होने से कुछ तराने फूटते थे,
लब उनके कुछ भी कहते....
हम तो बस उनको देखते थे
आशाओं के समंदर में.......................

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